14-1-2019 को हिन्दुस्तानी प्रचार सभा, मुंबई द्वारा अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी दिवस समारोह में अध्यक्ष पद से सभा के ट्रस्टी व मानद सचिव श्री फ़िरोज़ पैच ने कहा कि हिन्दी की दशा और दिशा दोनों दयनीय हैं। इस स्थिति को सुधारने की नितान्त आवश्यकता है। विश्वनाथ सचदेव ने स्थिति का विश्लेषण करते हुए कहा कि हमें अपनी मानसिकता बदलनी है। हिन्दी जब अमेरिका की विवशता बनेगी तो ही घर में हिन्दी आयेगी। हमें हिन्दी पर गर्व करना होगा। डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय ने कहा कि हिन्दी बोलनेवालों की संख्या बढ़ रही है, ज़्यादा लोग हिन्दी बोलेंगे तो भाषा बिखरेगी ही, इसकी चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं है। इंटरनेट पर भी हिन्दी विकसित है और इसने अंग्रेजी को पीछे छोड़ दिया है। दरअसल हिन्दी भारतीय संस्कृति की रक्षक है। डॉ. सुशीला गुप्ता ने कहा कि हिन्दी को हम कम नहीं आँकें। हिन्दी की लोकप्रियता बढ़ रही है। हिन्दी में विश्व भाषा बनने की क्षमता है, वह संयुक्त राष्ट्र संघ में ज़रूर अपनी जगह बनायेगी।
'सभा' द्वारा संचालित विदेशियों की हिन्दी कक्षा के विद्यार्थी मोहम्मद अली ने विदेशियों द्वारा हिन्दी सीखने की ललक पर रोशनी डाली। श्री संजीव निगम ने कार्यक्रम के प्रारम्भ में सभा की बहुमुखी गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सभा शिक्षा, मानसिक स्वास्थ्य, अस्पृश्यता-निवारण, अहिंसा और नारी सशक्तीकरण जैसे विषयों पर संगोष्ठी आयोजित करके लोगों में जागरूकता फैला रही है ।
कार्यक्रम के अंत में 'क्षितिज' संस्था की ओर से संजय भारद्वाज (लेखक-निर्देशक) के नेतृत्व में 'भाषा कभी बाँधती नहीं' शीर्षक से काव्य-प्रस्तुति पेश की गयी। श्री भारद्वाज द्वारा प्रभावशाली भूमिका की प्रस्तुति के पश्चात् मीनू मदान ने हिन्दी में (जीवन क्या है, आना-जाना), अपूर्व शर्मा ने अंग्रेज़ी में (मस्ट गो विद दी फ़्लो), पुष्पा सिंह विसेन ने भोजपुरी में (माटी के करज चुकाईं), संजय भारद्वाज ने हिन्दी में (काश, देश के राजनेता क्षितिज का अर्थ समझ पाते) और शिवदत्त शर्मा ने पंजाबी में (सजना याद तेरी विच ...) और उर्दू में (मोहब्बत का समंदर हो गया हूँ) रचनाएँ प्रस्तुत कर श्रोताओं का मन मोह लिया। कार्यक्रम में राजेन्द्र रावत, डॉ. प्रज्ञा शुक्ला, जनाब फ़ारुक़ रहमान, शंकर पुरोहित, माधुरी बाजपेयी, सरोजिनी जैन, रेखा मैत्र आदि उपस्थित थे।