हिन्दुस्तानी प्रचार सभा द्वारा महिला सशक्तीकरण- मिथ या वास्तविकता विषय पर दिनांक 16-17 फरवरी 2024 को दो-दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि डॉ. भूषण कुमार उपाध्याय (पूर्व पुलिस महानिदेशक) ने ऋगवेद में वर्णित महिलाओं के कार्यों व उपलब्धियों बात करते हुए कहा कि ऋगवेद में भी 27 स्त्रियाँ मंत्र की दृष्टा मानी जाती हैं यदि उन्हें ऋगवेद पढ़ना वर्जित था? महिलायें हमेशा सबला रही हैं वे कभी अबला नहीं थीं। सभा की विशेष कार्य अधिकारी डॉ. रीता कुमार ने कार्यक्रम की प्रस्तावना प्रस्तुत की। सभा के ट्रस्टी एवं मानद सचिव फ़िरोज़ पैच ने स्वागत वक्तव्य देते हुए समाज में महिलाओं पर हो रहे विभिन्न प्रकार के अत्याचारों के आंकड़ों को प्रस्तुत किया। वरिष्ठ कथाकार सुधा अरोड़ा ने ‘साहित्य में महिला सशक्तीकरण के स्वर’ में अध्यक्ष की भूमिका निभाई तथा डॉ. हूबनाथ पाण्डेय, डॉ. मंजुला देसाई और डॉ. सतीश पाण्डेय वरिष्ठ कवि, आलोचक विजय कुमार, कथाकार ममता सिंह, डॉ. दिनेश पाठक, डॉ. सुमन जैन और भुवेन्द्र त्यागी ने ‘वर्तमान सामाजिक परिप्रेक्ष्य में महिला सशक्तीकरण’ विषय पर उद्बोधित किया।
‘महिला सशक्तीकरण और कानून’ पर आधारित दूसरे दिवस के अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता एवं अधिवक्ता आभा सिंह ने कहा कि हमारे देश में कानून तो बहुत हैं किन्तु समय सीमा और सख्ती न होने के कारण समाज में अराजकता बनी हुई है और अपराधी अपराध कर के भी खुले आम घूमता है। अधिवक्ता एलिन मार्कवीस, रिलयांस अस्पताल की डॉ. मेहज़बीन डोरडी ने समाज में हो रहे मानसिक विचारों को अपने दृष्टि से समझकर उन्हे सुलझाने के अपने प्रयासों पर बल दिया और चित्रा देसाई ने अपने वक्तव्य प्रस्तुत किए। विभिन्न महाविद्यालयों के शिक्षक और विद्यार्थियों ने कार्यक्रम में अपना सहभाग दिया। कार्यक्रम का संचालन परियोजना समन्वयक राकेश कुमार त्रिपाठी तथा गंगाशरण सिंह ने किया। अंतिम सत्र में श्रीमती शशि निगम ने अपनी स्वरांजलि म्यूजिक अकादमी के सदस्यों के साथ नारी शक्ति के सुर विषय पर संगीतमय प्रस्तुति से श्रोताओं/ दर्शकों को भाव विभोर कर दिया।