हिन्दुस्तानी प्रचार सभा
Hindustani Prachar Sabha
7, Netaji Subhash Road, Charni Road (West), Mumbai – 400 002
7208525985/9820129917
hps.sabha@gmail.com
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पेरीनबेन कैप्टन अखिल भारतीय निबन्ध प्रतियोगिता (अहिन्दी भाषी क्षेत्रों के विद्यार्थियों के लिए) विषय : मैं अगले 25 वर्षों में भारत में यह बदलाव देखना चाहता हूँ। निबंध प्रतियोगिता परिणाम (प्रथम 25 चुने गए विद्यार्थी) View Winners
पेरीनबेन कैप्टन अखिल भारतीय निबन्ध प्रतियोगिता (अहिन्दी भाषी क्षेत्रों के विद्यार्थियों के लिए) विषय : मैं अगले 25 वर्षों में भारत में यह बदलाव देखना चाहता हूँ। निबंध प्रतियोगिता परिणाम (प्रथम 25 चुने गए विद्यार्थी)
हिन्दुस्तानी प्रचार सभा की विशेष परियोजना : अभी तक देश के 17 राज्यों की 118 जेलों में कैदियों के लिए पुस्तकालयों की स्थापना।
हिन्दुस्तानी के प्रचार-प्रसार में अग्रणी संस्था ‘हिन्दुस्तानी प्रचार सभा’ की स्थापना सन् 1942 में महात्मा गाँधी ने की थी। हिन्दुस्तानी (सरल हिन्दी) के साथ-साथ गाँधीजी के उसूलों के प्रचार-प्रसार में भी यह संस्था कार्यरत है।
‘हिन्दुस्तानी प्रचार सभा’ एक संस्था ही नहीं, एक विश्वास है, वह प्रतीक है ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ और ‘सर्वधर्म समभाव’ का। यह संस्था राष्ट्रीय एकता से जुड़ा हुआ एक इरादा है, जिसे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने ठोस आकार प्रदान किया।
इस संस्था को डॉ. राजेंद्र प्रसाद, मौलाना अबुलकलाम आज़ाद, पंडित जवाहरलाल नेहरू, डॉ. ज़ाकिर हुसैन, आचार्य काकासाहेब कालेलकर, श्री बाला साहेब खेर, डॉ. ताराचंद, डॉ. ज़ाफर हसन, प्रो. नजीब अशरफ नदवी, श्री श्रीमन्नारायण अग्रवाल, श्रीमती पेरीन बहन कैप्टन, श्रीमती गोशीबहन कैप्टन, पंडित सुन्दरलाल, पंडित सुदर्शन, श्री सीताराम सेक्सरिया, श्री अमृतलाल नानावटी, श्री देवप्रकाश नायर जैसी बड़ी-बड़ी हस्तियों का सहयोग मिला।
आचार्य काकासाहेब कालेलकर और श्री अमृतलाल नानावटी ने अहमदाबाद, वर्धा और दिल्ली को केन्द्र बनाकर अपना काम जारी रखा और श्रीमती पेरीन बहन कैप्टन ने बम्बई (मुंबई) को चुना तथा महात्मा गाँधी के भाषायी मिशन को कामयाब बनाने की कोशिश में वह लग गयी।
Periodicity: Quarterly Single issue: Rs.70/- Subscription: Rs.250/-(1 Yr.) Subscription: Rs.750/-(3 Yrs.)
Cindrella
Goldilocks And The Three Bears
Hansel And Gretal
Little Red Riding Hood
Little Snow White
कुल 10 पुस्तकों का सेट
अनुवादक : डॉ. सुशीला गुप्ता मूल्य :Rs. 1250/- रियायती मूल्य : Rs.1100/-
Rapunzel
Rumpelstiltskin
The Frog Prince
The Sleeping Beauty
The Three Little Pigs
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हिन्दुस्तानी प्रचार सभा द्वारा महिला सशक्तीकरण- मिथ या वास्तविकता विषय पर दिनांक 16-17 फरवरी 2024 को दो-दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि डॉ. भूषण कुमार उपाध्याय (पूर्व पुलिस महानिदेशक) ने ऋगवेद में वर्णित महिलाओं के कार्यों व उपलब्धियों बात करते हुए कहा कि ऋगवेद में भी 27 स्त्रियाँ मंत्र की दृष्टा मानी जाती हैं यदि उन्हें ऋगवेद पढ़ना वर्जित था? महिलायें हमेशा सबला रही हैं वे कभी अबला नहीं थीं। सभा की विशेष कार्य अधिकारी डॉ. रीता कुमार ने कार्यक्रम की प्रस्तावना प्रस्तुत की। सभा के ट्रस्टी एवं मानद सचिव फ़िरोज़ पैच ने स्वागत वक्तव्य देते हुए समाज में महिलाओं पर हो रहे विभिन्न प्रकार के अत्याचारों के आंकड़ों को प्रस्तुत किया। वरिष्ठ कथाकार सुधा अरोड़ा ने ‘साहित्य में महिला सशक्तीकरण के स्वर’ में अध्यक्ष की भूमिका निभाई तथा डॉ. हूबनाथ पाण्डेय, डॉ. मंजुला देसाई और डॉ. सतीश पाण्डेय वरिष्ठ कवि, आलोचक विजय कुमार, कथाकार ममता सिंह, डॉ. दिनेश पाठक, डॉ. सुमन जैन और भुवेन्द्र त्यागी ने ‘वर्तमान सामाजिक परिप्रेक्ष्य में महिला सशक्तीकरण’ विषय पर उद्बोधित किया। ‘महिला सशक्तीकरण और कानून’ पर आधारित दूसरे दिवस के अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता एवं अधिवक्ता आभा सिंह ने कहा कि हमारे देश में कानून तो बहुत हैं किन्तु समय सीमा और सख्ती न होने के कारण समाज में अराजकता बनी हुई है और अपराधी अपराध कर के भी खुले आम घूमता है। अधिवक्ता एलिन मार्कवीस, रिलयांस अस्पताल की डॉ. मेहज़बीन डोरडी ने समाज में हो रहे मानसिक विचारों को अपने दृष्टि से समझकर उन्हे सुलझाने के अपने प्रयासों पर बल दिया और चित्रा देसाई ने अपने वक्तव्य प्रस्तुत किए। विभिन्न महाविद्यालयों के शिक्षक और विद्यार्थियों ने कार्यक्रम में अपना सहभाग दिया। कार्यक्रम का संचालन परियोजना समन्वयक राकेश कुमार त्रिपाठी तथा गंगाशरण सिंह ने किया। अंतिम सत्र में श्रीमती शशि निगम ने अपनी स्वरांजलि म्यूजिक अकादमी के सदस्यों के साथ नारी शक्ति के सुर विषय पर संगीतमय प्रस्तुति से श्रोताओं/ दर्शकों को भाव विभोर कर दिया।
भाषाई एकता कहलाने वाला उत्सव “विश्व हिन्दी दिवस” पांडिच्चेरी विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग, हिन्दी अनुभाग और हिन्दुस्तानी प्रचार सभा, मुंबई तथा नॉटनल, लखनऊ के संयुक्त तत्तावधान में 10-11 जनवरी 2024 को आयोजित किया गया। विश्वविद्यालय के कुलपति (प्रभारी) आचार्य के.तरणिक्कारसु द्वारा समारोह के मुख्य अतिथि श्री श्रीकांत करूणेश, शैक्षणिक सलाहकार, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार, श्री राकेश कुमार त्रिपाठी, परियोजना समन्वयक, हिन्दुस्तानी प्रचार सभा, मुंबई, श्री नीलाभ श्रीवास्तव, नोटनल, ईबुक प्लेटफार्म, लखनऊ, हिन्दी विभाग की आचार्या एवं विभागाध्यक्षा, सह-आचार्य, हिन्दी अधिकारी, अन्य विश्वविद्यालयों से पधारें दिग्गजनों, साहित्यकारों तथा छात्र-छात्राओं की उपस्थिति में दीपप्रज्वलन के साथ द्वि-दिवसीय कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत कर वैश्विक स्तर पर हिन्दी को बढ़ावा देने तथा दुनियाभर के तमाम देशों में बसे भारतीयों को एक सूत्र में बांधने हेतु सरकार की इस पहल की सराहना करते हुए हिन्दी दिवस की शुभकामनाएँ प्रदान की। इस अवसर पर “कृत्रिम मेधा की भूमिका एवं महत्व” विषय पर आयोजित अंतरमहाविद्यालयीन वाक्-स्पर्धा में पांडिच्चेरी विश्वविद्यालय और अन्य विश्वविद्यालयों के लगभग 63 विद्यार्थियों ने गूगल फॉर्म द्वारा पंजीकरण किया और 45 विद्यार्थियों ने इसमें वक्तव्य दिया जिन्हें प्रथम, द्वितीय, तृतीय और 3 प्रोत्साहन पुरस्कारों से सम्मानित किया गया जिसकी निर्धारित राशि क्रमश: 5,000/-, 4,000, 3,000/- एवं 1,000/- रुपयें थी। इसी क्रम में पांडिच्चेरी विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में उपर्युक्त विषय पर ही राष्ट्रीय संगोष्ठी के 4 सत्रों का भी आयोजन किया गया, जिसमें डॉ. शशि मुदिराज, हैदराबाद; प्रो. लता चौहान, बेंगलूर; प्रो.राम प्रकाश ,तिरुपति; डॉ.गजेंद्र पाठक, हैदराबाद; डॉ. निशा,पांडिच्चेरी; डॉ. उमा देवी, पांडिच्चेरी; डॉ.जगनाथ रेड्डी, चिदंबरम; डॉ. सुरेंद्रन, पांडिच्चेरी; डॉ. आशिता,पांडिच्चेरी; डॉ. ए. राधिका, पांडिच्चेरी; डॉ. अनिता सिंह, पांडिच्चेरी, डॉ. राजरत्नम,तिरुवारुर; श्री विनय ठाकुर, पांडिच्चेरी जैसे विद्वजनों तथा जेआरएफ शोधार्थियों ने अपने प्रपत्रों का वाचन किया। पांडिच्चेरी विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रभारी आचार्य रजनीश भूटानी, डॉ. अरविन्द गुप्ता, निदेशक, दूरस्थ शिक्षा, डॉ
हिन्दुस्तानी प्रचार सभा तथा पी एस जी आर्ट्स ऐंड साइंस कॉलेज, कोयंबतूर के संयुक्त तत्त्वावधान में दिनांक 13 फ़रवरी 2024 को अंतर महाविद्यालयीन वाक् स्पर्धा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्या डॉ. डी. वृंदा ने विद्यार्थियों का मनोबल बढ़ाते हुए विभिन्न महाविद्यालयों से आए हुए प्रतियोगियों को बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने के लिए प्रोत्साहित किया। प्रतियोगिता में 15 महाविद्यालयों के 76 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। सभा की ओर से परियोजना समन्वयक राकेश कुमार त्रिपाठी ने क्रमशः प्रथम पुरस्कार हॉलीक्रॉस कॉलेज, त्रिची की संजना कुमारी, द्वितीय पुरस्कार कृष्णामल कॉलेज की दिव्यांशी गौड़, तृतीय पुरस्कार कवरी कॉलेज की एन गुंजन, तथा पी एस जी कॉलेज की अनघा सूजन व हॉलीक्रॉस कॉलेज की एम मनीषा जैन को प्रोत्साहन पुरस्कार प्रदान किया। कार्यक्रम का संयोजन हिन्दी विभागाध्यक्ष जी रेणुका ने किया। निर्णायकों डॉ आर विजय लक्ष्मी, राकेश कुमार त्रिपाठी, तथा जी खुशबू ने निभाई। 120 से अधिक विद्यार्थी इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे ।
सभा के पूर्व निदेशक, स्मृति शेष संजीव निगम के संस्मरणों की पुस्तक ‘मैं क्या जानूँ, क्या जादू है’ का लोकार्पण हुआ। प्रतिष्ठत कथाकार सूर्यबाला ने अध्यक्षता तथा वागीश सारस्वत, शशि निगम, सुभाष काबरा एवं डॉ. संतोष कौल ने पुस्तक पर अपने विचार प्रस्तुत किए। संचालन राकेश कुमार त्रिपाठी एवं गंगाशरण सिंह ने किया। डॉ. रीता कुमार ने सभी अतिथियों और श्रोताओं के प्रति धन्यवाद ज्ञापन किया।
8 दिसंबर 2023 को सभा के सभागार में संस्मरण और साहित्य विषय पर केन्द्रित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन सम्पन्न हुआ। मुख्य अतिथि देश के प्रतिष्ठत चित्रकार, लेखक अशोक भौमिक तथा देवमणि पांडेय, रमन मिश्र एवं यूनुस खान प्रमुख वक़्ता थे। डॉ. रीता कुमार ने कार्यक्रम की प्रस्तावना तथा सभा के ट्रस्टी एवं मानद सचिव फ़िरोज़ पैच ने अपने संस्मरण सुनाते हुए सभा की उपलब्धियों पर भी रोशनी डाली।